स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की अर्थव्यवस्था: भारत देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. अगर हम पीछे इसकी इतिहास में जाएँ तो पता चलता है कि देश आज पहले की तुलना में कई गुना विकास कर लिया है. किसी भी देश की अर्थव्यवस्था कई चीजों पर निर्भर करता है जिनमें प्रमुख है जनसंख्या और साक्षरता दर.

जनसंख्या की बात करें तो स्वतंत्रता के समय लगभग 34 करोड़ थी जो आज 130 करोड़ हो चुकी है. वहीं साक्षरता दर भी 12 प्रतिशत तक बढ़ा है. आइये जानते हैं स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की अर्थव्यवस्था कैसी थी और इन्हें प्रभावित करने वाले कारक की क्या दर थी.

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की अर्थव्यवस्था

स्वतंत्रता से पहले भारत में शासन करने वाले ब्रिटिश शासकों ने देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई बल्कि यहाँ के खनिज सम्पदा जैसे - सोना, चांदी, कपास, नील जैसे बहुमूल्य चीजों को अपने देश ले गए.

वर्ष 1947 के आते तक ब्रिटिशों ने देश को इतना लूट चुके थे कि अर्थव्यवस्था पर निर्भर रहने वाले कारकों की स्थति बेहाल थी, फलस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर थी.

अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक -

  • कृषि क्षेत्र
  • उद्योग क्षेत्र
  • प्रति व्यक्ति आय
  • जीडीपी

यहाँ हम जानेंगे की स्वतंत्रता के समय देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारकों की तब की और अब की क्या स्थिति थी / है.

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